ओ धर्म और संस्कृति के अधकचरे ठेकेदारों
मैं तुम्हारी बहन खुशी चोना ( तुम चाहो तो मुझे कोई और संबोधन भी दे सकते हो) वैलंटाइंस डे के दिन मिलने के लिए बुला रही हूं। दरअसल, 'मनाना चाहता है तो मान ले त्योहार का दिन आज ही होगा' की तर्ज पर मैं मानती हूं कि किसी भी दिन आप कोई भी त्योहार मना सकते हैं। और मैं चाहती हूं अपने सिरफिरे भाइयों के साथ (ये ऐसे भाई हैं जिन्हें अपनी बहन से भी बात करने की तमीज नहीं, ऐसा मेरा भरोसा है) वैलंटाइंस डे के दिन राखी का त्योहार मनाना।
यह बात अटपटी लग सकती है आपको। पर क्या करूं? ये मेरे जो नाकारे और नाकाबिल भाई हैं वह कुंभकरण की नींद सोते हैं साल भर। उनकी मोतियाबिंदी आंखें समाज की कोई बुराई देख ही नहीं पातीं। एक बात और है कि वह दिमाग से भी जड़ हैं । यही वजह है कि जो मुहब्बत, जो प्यार, जो अपनापा हर धर्म में पूजा जाता है, वह इनकी निगाह में समाज में पसरी गंदगी है। और वैलंडाइंस डे के दिन जब हम रोमांचित होते हैं इस अपनापे को महसूस कर, अपनी अधकचरी निगाहों के उन्माद में मेरे भाई सड़कों पर निकल आते हैं डंडे उठाए।
मुझे लगता है कि मेरे भाइयों के भीतर कहीं कोई फ्रस्टेशन है। या तो वे अपनी करतूतों के कारण समाज से बहिष्कृत कर दिए गये हैं या खुद को मिसफिट समझते हैं और अपने अस्तित्व को बनाए और बचाए रखने के लिए कोई न कोई उदंडता करते रहते हैं।
बहरहाल, अपने इन भाइयों से कहना चाहती हूं कि कर लें वह एक दिन हमारा विरोध। हम साल के 364 दिन मना लेंगे वैलंटाइंस डे। पूछना चाहती हूं कि क्या वह रोक सकते हैं हमें? अरे मेरे पाखंडी भाइयों, कम से कम आप इतना तो समझ लो कि हम प्यार की नदी में बह रहे हैं। इस नदी का वेग ऐसा होता है कि आसपास के मुहान कट कर नदी का हिस्सा बन जाते हैं। किसी भी अवरोधों के सामने नदियां रुका नहीं करतीं बल्कि अवरोधों को अपने साथ बहा ले जाया करती हैं। मत पड़ना तू हमारे रास्ते में। वर्ना जो खंडहरनुमा अस्तित्व का अवशेष बचा है उसे इस कदर बहा ले जाऊंगी कि तू खुद भी उसे नहीं पहचान पाएगा।
चल मिलते हैं हम वैलंटाइंस डे के दिन। मेरी पहचान यह होगी कि मेरे एक हाथ में अपने साथी के लिए लाल गुलाब होगा और दूसरे हाथ में तेरे लिए राखी। इन दोनों की गर तू तौहीन करेगा तो यकीन मान, दुर्गा बन कर संहार करूंगी तेरा।
तेरी शुभचिंतक
खुशी चोना
1 comment:
आक्रामक अंदाज- बस लाइन एण्ड लेंथ बनाए रखना जी।
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