Tuesday, September 2, 2008

यह मेरी पहली पोस्ट है

झूठ तो कदम-कदम पर मिलते हैं, पर सच कहां? झूठे का बोलबाला कब तक रहेगा, सचाई पर धूल की परत आखिर कब तक रहेगी...। लोग कहते थे कि इंटरनेट के लिए अंग्रेजी ही है। पर ऐसा कहां। कितनी-कितनी बातें लिखी हैं हिंदी में। वह भी देवनागरी लिपि में। भला, सुख के ऐसे समय में मैं खुद को पीछे कैसे रखूं। मैं तो नाचूंगी। गाऊंगी। पूरे जोशो-खरोश के साथ। इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी मेरे लिए कि मेरी मातृभाषा मुझे मात्र भाषा नहीं लग रही। इसका प्रसार हो रहा है। हम खुद को इसी भाषा में एक्सप्रेस कर रहे हैं। अंग्रेजी शब्दों का भी इस्तेमाल कर रही हूं तो लिपि देवनागरी ही है। वह दिन ढल गया जब हिंदी को रोमन लिपि में लिख रही थी। सचमुच, हिंदी को रोमन में देख रोता था मन। खुशी के इस मौके पर मेरे भीतर से फूट रहे हैं कुछ भाव। पेश कर रही हूं उन्हें शब्दों में आपके लिए। इसे आप ड्राफ्ट मानें या फाइनल। यह तो मेरे मन के भाव हैं।

ओ हिंदी,
तू तो है मेरे माथे की बिंदी
तुझे पाकर तो मैं सिहरती रही हूं
पल-पल, हर-पल
मेरे भीतर बहती नदी
करती रहती है
कल-कल, कल-कल।

20 comments:

अनिल रघुराज said...

अगर-मगर से दूर और आत्मविश्वास से भरा ऐसा ही अंदाज़ चाहिए। आपने बहुत उम्मीदें हैं जगा दी हैं। हिंदी ही नहीं, हिंदुस्तान का भविष्य उज्ज्वल है। इसे कोई रोक नहीं सकता।

manvinder bhimber said...

hindi ke leye aapki bhaawnao ko SALAAM

जितेन्द़ भगत said...

स्‍वागत।

नीरज गोस्वामी said...

हिन्दी प्रेमी का स्वागत...
नीरज

कामोद Kaamod said...

स्‍वागत स्‍वागत ..
आपको यहाँ देखकर बहुत खुशी हुई..
अब खुशी के साथ यहाँ खुशियाँ बिखेरिये..

श्रीकांत पाराशर said...

Pahli post hi itni achhi? khushi ki baat hai Khushi. Aapka hindi prem preranaspad hai.

अफ़लातून said...

खुशी जी , खूब लिखिए ,नियमित लिखिए, ब्लॉग जगत में खैरम कदम ।

vipinkizindagi said...

welcome

L.Goswami said...

स्वागत है.जमकर लिखिए.



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एक अपील - प्रकृति से छेड़छाड़ हर हालात में बुरी होती है.इसके दोहन की कीमत हमें चुकानी पड़ेगी,आज जरुरत है वापस उसकी ओर जाने की.

ओमप्रकाश तिवारी said...

स्वागत है.

Ashok Pandey said...

आपका स्‍वागत है। यही जज्‍बा और आत्‍मविश्‍वास बनाए रखें। विश्‍वास है, हम सब के समवेत प्रयास से हिन्‍दी इस देश के माथे की बिन्‍दी जरूर बनेगी।
अभी वह हमारे माथे की बिन्‍दी तो है ही।

सुनीता शानू said...

आपका स्वागत है हिन्दी जगत में,हिन्दी को समर्पित छोटी सी रचना बहुत अच्छी लगी...

रंजू भाटिया said...

बेहद खुशी हुई आपकी लिखी बातें सुन कर .स्वागत है आपका

Anil Pusadkar said...

hindi premi ka swagat hai,angrezi me likhne ke liye kshama chahta hun

siddheshwar singh said...

स्वागत और शुभम!

pallavi trivedi said...

स्वागत है आपका....आपकी पहली पोस्ट बहुत अच्छी लगी!

रंजन (Ranjan) said...

स्वागत..

रंजन
aadityaranjan.blogspot.com

अमिताभ मीत said...

"झूठ तो कदम-कदम पर मिलते हैं, पर सच कहां? "

स्वागत है ... ख़ुशी .. आयें और सच और ख़ुशी बिखेरें ...

Udan Tashtari said...

स्वागत है.

MANOJ said...

क्या कहने खुशी जी। कमाल का लिखती हैं आप। सारे पोस्ट पढ़ डाले मैंने। मजा आ गया।