Wednesday, September 17, 2008

हाय दिल्ली, हाय दिल्ली

खूब कमाओ, खूब बहाओ
गरीबों को दिखाओ, उन्हें सताओ
पर खुद रहो बम-बम

जब हो बात त्याग करने की
मुंह छुपाओ, दुम दबाओ
पर बात निकले जब दावेदारी की
जोर से बोलो हम-हम

हाय दिल्ली, हाय दिल्ली
तू जब उड़ाती गरीबों की खिल्ली
दिल कहता : तुझसे तो बेहतर भूखी बिल्ली

4 comments:

सुशील छौक्कर said...

अरे वाह क्या लिख मारा है। वाह।

Anonymous said...

अच्छा है,
पर
केवल दिल्ली ही क्यों ?
ये तो हर जगह
हर शक्स कि कहानी है..

Udan Tashtari said...

वाह जी, बहुत खूब. लिखते रहें.

Anonymous said...

बहुत खूब, लिखते रहें