मेरी तरुणाई
पूछे मुझसे
बता मैं कौन?
सवाल सुनकर मैं शर्माई
कहा न गया कुछ
रह गई मौन।
मेरी कविता
मुझसे कहे
देख मैं तो बह चली अब
गली, गांव और देश
मेरा अल्हड़ मौन
पूछे मुझसे
बता मैं जाऊं किधर
धरूं अब कौन-सा वेष
हे सर्वेश, हे सर्वेश, हे सर्वेश
पूछे मुझसे
बता मैं कौन?
सवाल सुनकर मैं शर्माई
कहा न गया कुछ
रह गई मौन।
मेरी कविता
मुझसे कहे
देख मैं तो बह चली अब
गली, गांव और देश
मेरा अल्हड़ मौन
पूछे मुझसे
बता मैं जाऊं किधर
धरूं अब कौन-सा वेष
हे सर्वेश, हे सर्वेश, हे सर्वेश
3 comments:
बहुत सही.
बहुत अच्छी कविता
nice poem
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