खूब कमाओ, खूब बहाओ
गरीबों को दिखाओ, उन्हें सताओ
पर खुद रहो बम-बम
जब हो बात त्याग करने की
मुंह छुपाओ, दुम दबाओ
पर बात निकले जब दावेदारी की
जोर से बोलो हम-हम
हाय दिल्ली, हाय दिल्ली
तू जब उड़ाती गरीबों की खिल्ली
दिल कहता : तुझसे तो बेहतर भूखी बिल्ली
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4 comments:
अरे वाह क्या लिख मारा है। वाह।
अच्छा है,
पर
केवल दिल्ली ही क्यों ?
ये तो हर जगह
हर शक्स कि कहानी है..
वाह जी, बहुत खूब. लिखते रहें.
बहुत खूब, लिखते रहें
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