गाती रही तो रोती रही
रोती रही तो भी गाती रही
छोटी रही तो सोती रही
सोती रही तो खोती रही
सोचा, जीवन में रखा क्या है
सोना और खाना
या फिर आना और यूं ही चले जाना
फिर जाना, इस जीवन में है
बहुत कुछ पाना
मैंने माना
अच्छा लिखूंगी तो मिलेगी तारीफ
और बुरा लिखूंगी तो ताना
फिर जनाब, जरा बताएं आप
क्यों बंद करूं मैं अपना गाना
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6 comments:
हम सब भी यही सोच रहें हैं-
सोचा, जीवन में रखा क्या है
सोना और खाना
या फिर आना और यूं ही चले जाना
सही कहा।
bahut achcha likha hai...sachcha bhi
वाह!! जारी रखिये गाना!!
geet gata chal,o sathi gungunata chal,o mitwa re,geet gata chal
आपका गाना हमको भी पड़ा गुनगुनाना।
सोचा, जीवन में रखा क्या है
सोना और खाना
या फिर आना और यूं ही चले जाना
बहुत उम्दा।
बढ़िया है ...बधाई
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